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आत्मनिर्भर फ़ूड इंडस्ट्री: मंत्रिमंडल ने 10 प्रमुख क्षेत्रों को बढ़ावा देने के लिए पीएलआई योजना मंजूर



केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने आज विनिर्माण और निर्यात को एक बड़ी गति प्रदान करते हुए निम्नलिखित 10 प्रमुख क्षेत्रों (अनुलग्नक में दिए गए विशिष्ट उत्पाद लाइनों के लिए) में उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना शुरू करने के नीति आयोग के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है :


  • एडवांस केमिस्ट्री सेल (एसीसी) बैटरी

  • इलेक्ट्रॉनिक/प्रौद्योगिकी उत्पाद

  • ऑटोमोबाइल एवं ऑटो घटक

  • फार्मास्यूटिकल्स ड्रग्स

  • वस्त्र उत्पाद :  एमएमएफ विभाग और टेक्निकल टेक्सटाइल

  • दूरसंचार एवं नेटवर्किंग उत्पाद

  • खाद्य उत्पाद

  • उच्च दक्षता सौर पीवी मॉड्यूल

  • व्हाइट गुड्स (एसी और एलईडी)

  • विशिष्ट स्टील


पीएलआई योजना संबंधित मंत्रालयों/विभागों द्वारा लागू की जाएगी और यह निर्धारित समग्र वित्तीय सीमाओं के दायरे में होगी। विभिन्न क्षेत्रों के लिए पीएलआई के अंतिम प्रस्तावों का मूल्यांकन व्यय वित्त समिति (ईएफसी) द्वारा किया जाएगा और इसे मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित किया जाएगा। किसी अनुमोदित क्षेत्र की एक पीएलआई योजना से बचत, यदि कोई हो, का उपयोग अधिकार प्राप्त सचिवों के समूह द्वारा दूसरे अनुमोदित क्षेत्र के वित्तपोषण के लिए किया जा सकता है। पीएलआई के लिए किसी भी नए क्षेत्र को मंत्रिमण्डल की नए सिरे से मंजूरी लेने की आवश्यकता होगी।


इन 10 प्रमुख विशिष्ट क्षेत्रों में पीएलआई योजना भारतीय निर्माताओं को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाएगी, महत्वपूर्ण प्रतिस्पर्धी और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में निवेश आकर्षित करेगी; क्षमता सुनिश्चित करेगी; बड़े पैमाने की अर्थव्यवस्थाओं का निर्माण करेगी; निर्यात बढ़ाएगी और भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का अभिन्न अंग बनाएगी।


खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के विकास से किसानों के लिए बेहतर मूल्य प्राप्त होगा और बड़े पैमाने पर अपव्यय कम होगा। पीएलआई योजना के माध्यम से सहायता प्रदान करने के लिए मध्यम से बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन के लिए उच्च विकास क्षमता और संभावनाओं वाली विशिष्ट उत्पाद लाइनों की पहचान की गई है।

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प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के आह्वान पर देश में कुशल, न्यायसंगत और लचीला विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए नीतियों की परिकल्पना की गई है। औद्योगिक वस्तुओं के उत्पादन और निर्यात में वृद्धि से भारतीय उद्योग को विदेशी प्रतिस्पर्धा और विचारों को जानने का काफी अवसर मिलेगा, जिससे आगे कुछ नया करने की अपनी क्षमताओं में सुधार करने में मदद मिलेगी। विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने और एक अनुकूल विनिर्माण इकोसिस्टम के निर्माण से न केवल वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के साथ एकीकरण हो सकेगा बल्कि देश में एमएसएमई क्षेत्र के साथ बैकवर्ड लिंकेज भी स्थापित होंगे। इससे अर्थव्यवस्था में समग्र विकास होगा और रोजगार के अत्यधिक अवसर पैदा होंगे।




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